Sunday, August 10, 2008

मोटापा कम करने के लिए सरकारी मदद?

आज समाचार पत्र में पढ़ा की ऑस्ट्रेलिया में ५१.७ % व्यस्क मोटापे का शिकार है। मोटापे को कम करने के लिए अधिकतर लोगों को मोटापा कम करने के सुगेरी का सहारा केना पड़ रहा है। ९५% लोग इस सुगेरी को निजी अस्पतालों में करवाते है। अहम् बात ये है की वहां की सरकार मोटापे कम करने के लिए आर्थिक मदद देने का फ़ैसला लिया है। यही नही आस्ट्रलिया की सरकार सुरगी व मोटापा घटने के अन्य कार्यों के लिए विशेष क्लिनिक भी स्थापित करने का विचार कर रही है। धन्य है ऑस्ट्रेलिया की सरकार जो जनता के लिए इतना कर रही है। यही गर भारत में होता तो योजना का अधिकतर पैसा योजना बनते बनते ही खतम हो जाता और नेताओं की तिजोरिओं में पहुँच जाता । भारत में भ्रस्ताचार चरम पर है। यहाँ पर स्वास्थ्य के नाम पर करोणों रुपये खर्च किए जाते है पर वास्तव में उसका लाभ जनता तक नही पहुँच पाटा है। अभी पिछले महीने मेरी दीदी का रास्ते में रिक्शे वाले की लापरवाही से एक्सीडेंट हो गया था। उनके घुटने में काफ़ी गहरा जख्म हो गया था । पास के एक नजदीकी अस्पताल में उनको ले जाया गया। पहले तो डॉक्टर ही इमर्जेंसी से लापता थे काफ़ी देर बाद आए तो टाँके लगाने को कहा गया बड़ी बेरहमी से कम्पौंदर ने टाँके लगाये और जाने से पहले चाय पानी का खर्चा मांगने से भी नही चूके। २०/- देने पर बुरा सा मुह बनाया और कहा की "इतना बढ़िया टांका लगाया है कुछ और इनाम तो दीजिये। चार लोग है यहाँ इतने में क्या होगा"? बाहर निकलने पर डॉक्टर ने भी अपने नर्सिंग होम का पता दिया और वह आने पर और जांच करने का आश्वासन दिया। ऐसी स्वास्थ्य सेवाएँ है भारत में। कुछ सीख इस ख़बर से भारत के बुद्धिजीवियों को लेनी चाहिए और इसके ख़िलाफ़ कुछ सख्त क़ानून बनाये जाने चाहिए ताकि जनता को उचित सेवाए मिल सके ।

Saturday, August 9, 2008

सात फेरे बदल देतीं हैं दुनिया

आजकल इतनी व्यस्त हो गयीं हूँ की ब्लॉग पर लिखने के लिए समय ही नही निकाल सकी। आज काफ़ी दिनों बाद जब ब्लॉग को खोला तो टिप्पणिया पढ़ कर खुशी हुई। मै सभी आगंतुकों और उनकी टिप्पणियो की आभारी हूँ ।

अपनी व्यस्तता के कारण कभी कभी अपने शादी के पहले के दिन याद आ जाते है। पहले घर पर माँ बाप के साये में निश्चिंत जीवन था । ना कोई चिंता और न घर ग्रहस्ती का झंझट। मेरा परिवार संयुक्त परिवार था सो दिन भर कैसे मौज मस्ती में गुज़र जाता था पता ही नही चलता था। पर शादी के बाद तो जैसे स्त्री की दुनिया ही बदल जाती है। मुझे यहाँ संयुक्त परिवार की बजाय एकाकी परिवार मिला । बखूबी दोनों का अन्तर समझ में आया । शादी के समय मेरे ससुराल में मेरे सास ससुर और पति ही थे। शुरू शुरू में काफ़ी बोरियत होती थी। फिर दस महीने के बाद इश्वर ने हम दोनों को एक सुंदर और प्यारा सा बेटा दिया। मेरे बोरियत भरे जीवन में वो रौनक ले कर आया । अब वो दो साल का होंने को है । उसकी प्यारी शैतानिया एक तरफ तो परेशान कर देती है तो दूसरी तरफ़ घर के काम काज और जिम्मेदारियां परेशान करती है। संयुक्त परिवार में बच्चे का पालन पोषण कैसे हो जाता है पता ही नही चलता जो मैंने अपने मायके में देखा था पर यहाँ एकाकी परिवार में जहाँ मुझे ऊपर से नीचे, घर के कामो से लेकर बाहर खरीददारी करने तक का काम करना पड़ता है। छोटे बच्चे के साथ इतनी जिम्मेदारियों को निभाना कोई आसान बात नही लगती है। यहाँ पर सबसे अच्छी बात ये है कि मेरे पति बहुत अच्छे है । इन्होने इस ढाई साल में मेरा एक अच्छे साथी की तरह बखूबी साथ दिया । वैसे तो मेरे पति अपने काम में ही काफ़ी व्यस्त रहते है पर जितने समय घर पर रहते है घर के काम जल्दी निपटाने में मेरी मदद करते है। आज मै कभी अकेली बैठती हूँ तो सोचती हूँ अपनी शादी शुदा ढाई साल की जिंदगी और शादी से पहले की जिंदगी को, कि सात फेरे कैसे एक ही पल में एक लड़की कि दुनिया ही बदल देते है। अपने मम्मा और पापा की दुलारी कब बेचारी बन गई पता ही नही चला । आज जब किसी को अपने ससुराल की व्यस्तता भरी जिंदगी के बारे में बताओ तो हर कोई यही कहता है "हाय ! ससुराल में बेचारी को अकेले ही सारी जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है। " मायके जाने प्र सब कहते हैं मेरी प्यारी बेचारी बिटिया कितनी दुबली हो कर आई है। पहले मायके पहुचने पर सब कहते थे मेरी दुलारी बिटिया आ गई । अब कहते हैं मेरी बेचारी बिटिया आ गई। क्या ये एहसास जो आज मुझे हो रहा है, "दुलारी से बेचारी तक का सफर" ये हर दुलारी बिटिया को होता है? की सात फेरे बदल देती है दुनिया? कृपया टिपण्णी करे। फ़िर मिलूंगी ...

Sunday, June 22, 2008

२२ साल बाद तलाक?

एक तलाक का निणॅय में २२ वर्ष लग गए। नई दिल्ली के मुखर्जी नगर के निवासी श्री शैलेन्द्र ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत १९८५ में तलक की अर्जी दी थी। आखिरकार २२ साल बाद उन्हें तलक मिल ही गया। दोनों पति पत्नी २२ सालो से अलग रह रहे थे। यदि उन्हें तलाक लेने के बाद दूसरी शादी करनी होती तो २२ साल के बाद तो सारे अरमान धरे के धरे रह गए होंगे। क्या ऐसा नही हो सकता की न्याय जल्दी हो जाता और दोनों में से जो कोई भी दूसरा विवाह कर दांपत्य जीवन के सुख के लिए पुनर्विवाह कर सकता? मेरे हिसाब से जब शादी १ दिन में हो सकती है तो तलाक के लिए इतना लंबा समय क्यों? पूरी कहानी यहाँ पढ़े >>

कैसे जियेंगे गरीब इस महंगाई में ?

महंगाई है की घटने का नाम ही नही ले रही है। बढती महंगाई में सबसे ज़्यादा अगर किसी को भुगतना पड़ रहा है तो वो है मध्यम एवं गरीब वर्ग। महंगाई ने हाल ही में पिछले १३ वर्षों का रिकॉर्ड तोडा है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार अभी महंगाई के और बढ़ने की उम्मीद है जो की १५ % तक जा सकती है। ऐसे में जिन लोगों ने बैंक, पी.पी.ऍफ़। में निवेश कर रखा होगा उनको नेगेटिव रिटर्न मिलने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए यदि ब्याज डर ८.५% है और महंगाई १०-१२ % तो बीच का अन्तर निवेशक की पूँजी से कम हो जाएगा। यानि नेगेटिव रिटर्न।

सबसे ज़्यादा प्रभावित तो ठेला लगाने वाले, सब्जी विक्रेता, एवं मजदूर वर्ग ह रहे है। ऊपर से पेट्रोल के दाम बढ़ने से रोज़ मर्रा की आवश्यकता की वस्तुओं पर भी असर पड़ रहा है एवं उनके भी दाम आसमान छु रहे है। गैस के दाम तो बढ़ ही चुके आगे देखिये और किन किन चीज़ों के दाम बढ़ेंगे। विशेषज्ञों का यह भी मानना है महंगाई की बढ़ी हुई डर से अभी निकट भविष्य में कोई सुधार होने की उम्मीद नही है बल्कि इसका असली असर तो २-३ महीने में पता चलेगा।
रोज़ कमाने खाने वालोके लिए जीना कितना मुश्किल हो गया है। सरकार जबतक कुछ ठोस कदम उठाएगी तब तक कही गरीबो का दम ही न निकल जाए.

Monday, February 4, 2008

टेली शॉपिंग मे बिकते यन्त्र, लाकेट, पेंडेंट, का धंधा (Selling yantra, locket, pendant via tele shopping)

आजकल हर प्रमुख चैनल पर तेल शॉपिंग के विज्ञापन आते है जिसमे तरह तरह के लोकेट , पेंडेंट, यन्त्र वगैरह बेचे जा रहे है। इन विज्ञापनों मे धारावाहिक मे काम काम करने वाले मशहूर कलाकारों का इस्तेमाल किया जाता है। अधिकतर बेचे जाने वाले इन यंत्रों के विषय मे यह बताया जाता है कि इसको खरीद कर घर मे पूजा ग्रह मे स्थापित करने या गले मे पहनने से लक्ष्मी कि असीम कृपा हो जाती है, व्यापार मे तरक्की सुनिश्चित हो जाती है। पर आज तक मुझे इन चीजो मे विश्वास नही हो पाया। माना कि कुछ मूल्यवान पत्थर जैसे रूबी, पन्ना, नीलम इत्यादी का भी एक विज्ञान है पर ये क्या गारंटी कि हर पहनने वाला इन लोकेट एवं यंत्रों कि मदद से धनी हो जाएगा। यदि ऐसा वास्तव मे होता हो तो मैं भारत सरकार से गुजारिश करना चाहूंगी कि विभिन्न विकास कि योजनाए बनाने एवम उसमे करोडो रूपये बर्बाद करने के बजाये ये यन्त्र या लोकेट खरीद कर हर गरीब मे बट्वा देना चाहिऐ जिसके कि पूरे भारत कि गरीबी दूर हो सके।

टेली शॉपिंग के ज़रिये आजकल हर तरह कि चीज़ को खूब बढ़ा चढा कर दिखाया जाता है, तथा कई लोगो को उसके प्रयोग से हुए लाभो का गुडगान करते हुए दिखाते है। मेरे विचार से ऐसे भ्रमित करने वाले एवम झूठी गारंटी देने वाले विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगनी चाहिऐ। अब आप ही बताईये कि क्या श्री यन्त्र को हर घर मे स्थापित करवा देने से यदि धन कि प्राप्ति होती हो तो क्या उसका क्या करना चाहिऐ।

Sunday, February 3, 2008

घरेलु नुस्खे : प्याज़ के फायदे ( Home Remidies: Benifits of Onion)

घरेलू नुस्खे :प्याज़ (Home Remidies: Onion) बिना प्याज़ के सब्जी का स्वाद ही शायद बेकार लगे। पूरे भारत मे प्याज़ का इस्तेमाल सब्जी मी किया जाता है। पर वास्तव मे प्याज़ बहुत ही गुढ्कारी औषधि का भी काम करता है एवं कई रोगों मे तो राम बाँण का काम करता है। आइये इसके कुछ कारगर घरेलु प्रयोगों के बारे मे जाने :

  • पतले दस्त (dysentery) रहे हो तो प्याज़ के रस को नाभि पर लगाए, आराम मिलेगा
  • प्याज़ नेत्र ज्योति बढ़ाने मे सहायक होता है
  • दमा (Asthma) के रोग मे सफ़ेद प्याज़ के रस को शहद के साथ खाने पर बहुत फायदा होता है
  • दांत के दर्द मे प्याज़ के टुकड़े को दातो के बीच दबा लेने से दर्द मे आराम मिलता है
  • प्याज़ के रस कि मालिश करने से गठिया के दर्द मे आराम मिलता है
  • खून कि कमी (Anemia) होने पर प्याज़ के रस को शहद के साथ सेवन करने से खून कि कमी दूर होती है
  • उच्च रक्तचाप (High blood Pressure) के रोगियो के लिए भी प्याज़ लाभकारी है और उनको प्याज़ अवश्यकहना चाहिऐ क्योंकि प्याज़ उच्च रक्तचाप को कम करता है
  • प्याज़ मानसिक तनाव (Stress) मे भी काफी उपयोगी होता हैप्याज़ मे पाए जाने वाला एक रसायन मानसिकतनाव को कम करता है
  • उल्टिया (vomiting) आने या जी मचलने मे प्याज़ को नमक के साथ खाने मे काफी आराम मिलता है
  • अपच (Indigestion) हो तो प्याज़ के रस को नमक के साथ खाएँ आराम मिलेगा

Thursday, January 31, 2008

Blogger Buzz: Now you can blog in Hindi

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