Sunday, October 5, 2008

व्यस्क फ़िल्म देखने जा रहे हो तो छोड़ो कलर्स चॅनल पर बिग बॉस देख लो

अजी क्या कहे चॅनल वालों को और बिग बॉस जैसे सीरियल बनने वालो को। मनोरंजन के नाम पर सरेआम अश्लीलता दिखाई जा रही है। राहुल महाजन जी तो रास लीला में जुटे रहते है। अपने दिवंगत पिताजी की गरिमा का उन्हें ज़रा भी ख़याल नही आता है। सरे आम टी वी चैनल पर फूहड़ हरकते करते देखे जा सकते है। शिव सेना वाले भी लगता है दशहरे की छुट्टियाँ मना रहे है । उन्हें चैनल के बारे में लगता है अभी ख़बर नही लगी है वरना आन्दोलन और तोड़ फोड़ से यह सीरियल और लोकप्रिय हो जाता । वैलेंटाइन डे पर लड़की साथ घूमते दिख जाते है तो उनकी खैर नही, और अब जब सरे आम अश्लील सामग्री घर घर पहुँच रही है तो किसी के कान में जूं नही रेंग रही है। नारी संगठन भी शायद अपनी किट्टी पार्टियों में व्यस्त है। वरना मटका फोड़ने जैसी कोई न कोई ख़बर तो सुनाई ही देती। खैर अब जिन मर्दों को अश्लील फ़िल्म दखने जाना हो तो उसका विचार त्याग कर आराम से घर बैठे बिग बॉस सीरियल देख ले। फिल्मों में कोई उत्तेजक सीन मिले न मिले बिग बॉस के घर में तो ज़रूर मिलेगा। अब तो लेट नाईट एडिशन भी आने लगे है। जब तक रोक नही लगती तबतक आँखे तो सेंक ले और देश के युवा वी आई पी लोगों के असली चरित्र भी देख ले। नवरात्र में माँ से यही प्रार्थना है की सोये हुए लोगो की नींद तोड़ और चैनल वालों को सदबुध्ही दे।

Thursday, October 2, 2008

ये क्या है? वो क्या है?

काफ़ी दिन से मै अपने ब्लॉग पर लिखने के लिए समय नही निकाल पाई। घर क कामो से फुर्सत निकालना कठिन हो जाता है। ऊपर से मेरा बेटा जो दो साल का हो गया है बहुत शैतानी करता है। सारा दिन उसके आगे पीछे में ही लग जाता है। कब सुबह होती है और कब रात पता ही नही चलता है। अब तो उसने बोलना और तरह तरह के सवाल करना भी शुरू कर दिया है। ये क्या है ? वो क्या है? तरह तरह की उत्सुकताओं से भरा रहता है। उसके अधिकतर प्रश्नों के जवाब तो दे दती हूँ पर कभी कभी झुंझलाहट भी हो जाती है। पर शायद बच्चे की यही उम्र होती है जहा वो उत्सुकताओं और जिज्ञासाओं से भरा रहता है। घर में वो जो कुछ भी मुझे या मेरे पति को करते देखता है उसको ही करने की कोशिश करता है। मै दिन भर घर के काम में व्यस्त रहती हूँ । वो दिन भर घर में झाडू पोछा, बर्तन धोने आदि काम करते हुए मुझे देखता है। जब भी उसे मौका मिलता है वो भी कभी झाडू उठा कर शुरू हो जाता है या फिर धुले हुए कपड़े ले जाकर बाथरूम में बैठ जाता है धोने के लिए। अक्सर जब उसे कुछ करते हुए हटाने की कोशिश करो तो बस एक मुस्कान मारकर कहता है "मम्मा ताम थतम हो दया" ( मम्मा काम ख़तम हो गया) सुनकर सारा गुस्सा काफूर हो जाता है। वो भी बस मेरी गोदी में चढ़कर लिपट जाता है। और एक ऐसा मातृत्व का सुख दे जाता है जो की अनोखा है और सारे सुखों से बढ़कर है। इसको सिर्फ़ एक माँ ही समझ सकती है। चलती हूँ । कुछ ब्लोग्स को पढ़ना है कुछ टिपण्णी करनी है... और हाँ आज ईद की सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं

Saturday, September 6, 2008

प्रीपेड मोबाईल धारकों के लिए खुशखबरी

ट्राई (TRAI) ने अभी शीघ्र ही मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनिओं को निर्देश दिया है की वे रिचार्ज कूपन पर पूरा टाक टाइम दे । साथ ही उन्हें प्रोसेसिंग फीस को ख़त्म करने को कहा है। वे अधिकतम २/- प्रति रिचार्ज कूपन प्रशासनिक शुल्क के रूप में ले सकते है। ट्राई का येः कदम निश्चय ही सराहनीय है। ट्राई ने यह निर्देश मोबाइल टैरिफ में समरूपता लाने के लिए किया है। तो अब तैयार हो जाइये पूरे टाक टाइम का लुफ्त उठाने के लिए....

Monday, September 1, 2008

डिजीटल कैमरा कितने काम का

आजकल डिजीटल कैमरा इतना सस्ता हो गया है की इसे खरीदना अब हर एक के बस में है। एक अच्छा डिजीटल कैमरा हो तो क्या कहने बस खींच डालो जितनी चाहे तस्वीरें। आजकल सोनी, सैमसंग, कोडेक, निकोन आदि कई डिजीटल कैमरे बाज़ार में उपलब्ध हैं। एक ब्रांडेड ५ मेगापिक्सेल का कैमरा आजकल ४००० रूपये में आराम से मिल सकता है । अभी कुछ दिन पहले ही मैंने अपने एक मित्र के साथ निकोन का ५ मेगापिक्सेल कैमरा ३९९०/ रूपये में बिग बाज़ार से खरीदा है। शुरू शुरू में उसके पिक्चर क्वालिटी से हम लोग संतुष्ट नही थे। पर एक फोटो स्टूडियो में दिखाने पर उसने अप्पेरेचर को बदल दिया और क्वालिटी सुधर गई। एक आम आदमी के लिए ५ मेगा पिक्सॅल का कैमरा ठीक ठाक परिणाम देता है।

आजकल कोडक ने ५ मेगापिक्सेल का कैमरा चार्जर और मेमोरी कार्ड के साथ ५४९०/- में ऑफर में दे रहा है। इसके अलावा वेस्प्रो और एप्टेक के कैमरे भी बाज़ार में सस्ती कींमत में आ रहे है।

डिजीटल कैमरे से कई काम लिए जा सकते है... जैसे किसी महत्वपूर्ण डाकुमेंट जैसे पॅन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेन्स, क्रडिट कार्ड आदि की फोटो खींच कर सेव की जा सकती है। घर के किसी उत्सव, त्यौहार, की फोटो। अपने परिवार की एल्बम आदि बनाई जा सकती है। डिजीटल कैमरे का सबसे अच्छा फायदा ये है की इसमे आपकी प्रिंट कराने की लागत बच जाती है। ना ही आपको रोल खरीदने में पैसा खर्च करना होता है. बस फोटो खिचिये और उसे कम्पुटर में सेव कर लीजिये। प्रिंट कराने की बजाये उसे कम्पुटर में सेव किया जा सकता है। आजकल ऑनलाइन एल्बम की मुफ्त सुविधा दी जा रही है, सो आप ढेरों फोटो खींच कर अपनी अल्बम तैयार कर सकते है और उसे अपनों दोस्तों और रिश्तेदारों से शेयर कर सकते है।

आज दिखेगा चाँद तो शुरू होगा रमजान

आज यदि चाँद दिखा तो हमारे देश के मुस्लिम भाइयों का पवित्र त्यौहार रमजान शुरू हो जाएगा। रमजान का पूरा महिना उनके लिए आत्मा शुद्धि का होता है। बच्चे बूढे और जवान सभी रोजा रखते है । और रोजा ख़त्म होते ही मनाई जाती है ईद । सभी मुस्लिम भाइयों को रमजान की शुरुआत पर मैं देती हूँ शुभकामनाएँ ।

Friday, August 15, 2008

अपनी आजादी के बारे में पुनः सोचो...

आज भारत ने अपना ६१ वां स्वाधीनता दिवस (Independence day)मनाया । पूरे देश में यह राष्ट्रीय पर्व धूम धाम से मनाया गया और सबसे अच्छी बात ये रही की सब कुछ कुशल रहा । ऐसे मौंको पर आतंकवाद की घटनाये होने की संभावना अधिक होती है। आज हम आजाद हिन्दोस्तान में साँस ले रहे है इस बात को याद करने का यह दिन था बरसो की गुलामी से हमे किस तरह से छुटकारा मिला, किस तरह से सैनिकों ने शहीद होकर हमे आज़ादी दिलाई, जाने कितने लोग शहीद हो गए और तब जाकर हम और हमारी आने वाली पीढी आज़ादी का आनंद उठा रहे है। पर वास्तव में सोचने वाली बात ये है की अभी भी भारत में बहुत सारी जंजीरे है जो हमारे देशवासिओं को गुलाम बनाये हुए है। अभी भी हमे बहुत से चीजों से मुक्त होना है। आतंकवाद, भ्रष्टाचार, गरीबी, बेईमानी, घूसखोरी, गुंडागर्दी, जातिवाद, धार्मिक कट्टरपंथी आदि अपनी जड़े फैला रही है, इन सब से भारत को लड़ना है और आजाद होना है। पर यह तभी सम्भव है जब आज के युवा एवं बुद्धिजीवी वर्ग आपस में मिल जुल कर इससे लड़े। सबसे बड़े दुःख की बात तो ये है की हमारे नेता ही इस देश को लूटने में लगे हुए है। उन्हें एक दूसरे के ऊपर कीचड उछालने के अलावा कुछ नही सूझता है। कोई धर्म के नाम पर तो कोई प्रांत के नाम पर सियासी दांव पेंच लड़ते रहते है और सरकारी धन को अपनी तिजोरिओं में बंद करने में लगे हुए है। आम जनता इन सभी कारणों से अभी भी गुलाम की तरह जी रही है। एक गरीब का जीना दिन पर दिन कठिन होता जा रहा है। असली आज़ादी अभी भी बाकी है... आओ सब मिल कर एक हो जाएँ और आजादी के इस पर्व पर संकल्प ले भारत को असली आजादी दिलाने का...जय हिंद। जय भारत.

Sunday, August 10, 2008

मोटापा कम करने के लिए सरकारी मदद?

आज समाचार पत्र में पढ़ा की ऑस्ट्रेलिया में ५१.७ % व्यस्क मोटापे का शिकार है। मोटापे को कम करने के लिए अधिकतर लोगों को मोटापा कम करने के सुगेरी का सहारा केना पड़ रहा है। ९५% लोग इस सुगेरी को निजी अस्पतालों में करवाते है। अहम् बात ये है की वहां की सरकार मोटापे कम करने के लिए आर्थिक मदद देने का फ़ैसला लिया है। यही नही आस्ट्रलिया की सरकार सुरगी व मोटापा घटने के अन्य कार्यों के लिए विशेष क्लिनिक भी स्थापित करने का विचार कर रही है। धन्य है ऑस्ट्रेलिया की सरकार जो जनता के लिए इतना कर रही है। यही गर भारत में होता तो योजना का अधिकतर पैसा योजना बनते बनते ही खतम हो जाता और नेताओं की तिजोरिओं में पहुँच जाता । भारत में भ्रस्ताचार चरम पर है। यहाँ पर स्वास्थ्य के नाम पर करोणों रुपये खर्च किए जाते है पर वास्तव में उसका लाभ जनता तक नही पहुँच पाटा है। अभी पिछले महीने मेरी दीदी का रास्ते में रिक्शे वाले की लापरवाही से एक्सीडेंट हो गया था। उनके घुटने में काफ़ी गहरा जख्म हो गया था । पास के एक नजदीकी अस्पताल में उनको ले जाया गया। पहले तो डॉक्टर ही इमर्जेंसी से लापता थे काफ़ी देर बाद आए तो टाँके लगाने को कहा गया बड़ी बेरहमी से कम्पौंदर ने टाँके लगाये और जाने से पहले चाय पानी का खर्चा मांगने से भी नही चूके। २०/- देने पर बुरा सा मुह बनाया और कहा की "इतना बढ़िया टांका लगाया है कुछ और इनाम तो दीजिये। चार लोग है यहाँ इतने में क्या होगा"? बाहर निकलने पर डॉक्टर ने भी अपने नर्सिंग होम का पता दिया और वह आने पर और जांच करने का आश्वासन दिया। ऐसी स्वास्थ्य सेवाएँ है भारत में। कुछ सीख इस ख़बर से भारत के बुद्धिजीवियों को लेनी चाहिए और इसके ख़िलाफ़ कुछ सख्त क़ानून बनाये जाने चाहिए ताकि जनता को उचित सेवाए मिल सके ।

Saturday, August 9, 2008

सात फेरे बदल देतीं हैं दुनिया

आजकल इतनी व्यस्त हो गयीं हूँ की ब्लॉग पर लिखने के लिए समय ही नही निकाल सकी। आज काफ़ी दिनों बाद जब ब्लॉग को खोला तो टिप्पणिया पढ़ कर खुशी हुई। मै सभी आगंतुकों और उनकी टिप्पणियो की आभारी हूँ ।

अपनी व्यस्तता के कारण कभी कभी अपने शादी के पहले के दिन याद आ जाते है। पहले घर पर माँ बाप के साये में निश्चिंत जीवन था । ना कोई चिंता और न घर ग्रहस्ती का झंझट। मेरा परिवार संयुक्त परिवार था सो दिन भर कैसे मौज मस्ती में गुज़र जाता था पता ही नही चलता था। पर शादी के बाद तो जैसे स्त्री की दुनिया ही बदल जाती है। मुझे यहाँ संयुक्त परिवार की बजाय एकाकी परिवार मिला । बखूबी दोनों का अन्तर समझ में आया । शादी के समय मेरे ससुराल में मेरे सास ससुर और पति ही थे। शुरू शुरू में काफ़ी बोरियत होती थी। फिर दस महीने के बाद इश्वर ने हम दोनों को एक सुंदर और प्यारा सा बेटा दिया। मेरे बोरियत भरे जीवन में वो रौनक ले कर आया । अब वो दो साल का होंने को है । उसकी प्यारी शैतानिया एक तरफ तो परेशान कर देती है तो दूसरी तरफ़ घर के काम काज और जिम्मेदारियां परेशान करती है। संयुक्त परिवार में बच्चे का पालन पोषण कैसे हो जाता है पता ही नही चलता जो मैंने अपने मायके में देखा था पर यहाँ एकाकी परिवार में जहाँ मुझे ऊपर से नीचे, घर के कामो से लेकर बाहर खरीददारी करने तक का काम करना पड़ता है। छोटे बच्चे के साथ इतनी जिम्मेदारियों को निभाना कोई आसान बात नही लगती है। यहाँ पर सबसे अच्छी बात ये है कि मेरे पति बहुत अच्छे है । इन्होने इस ढाई साल में मेरा एक अच्छे साथी की तरह बखूबी साथ दिया । वैसे तो मेरे पति अपने काम में ही काफ़ी व्यस्त रहते है पर जितने समय घर पर रहते है घर के काम जल्दी निपटाने में मेरी मदद करते है। आज मै कभी अकेली बैठती हूँ तो सोचती हूँ अपनी शादी शुदा ढाई साल की जिंदगी और शादी से पहले की जिंदगी को, कि सात फेरे कैसे एक ही पल में एक लड़की कि दुनिया ही बदल देते है। अपने मम्मा और पापा की दुलारी कब बेचारी बन गई पता ही नही चला । आज जब किसी को अपने ससुराल की व्यस्तता भरी जिंदगी के बारे में बताओ तो हर कोई यही कहता है "हाय ! ससुराल में बेचारी को अकेले ही सारी जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है। " मायके जाने प्र सब कहते हैं मेरी प्यारी बेचारी बिटिया कितनी दुबली हो कर आई है। पहले मायके पहुचने पर सब कहते थे मेरी दुलारी बिटिया आ गई । अब कहते हैं मेरी बेचारी बिटिया आ गई। क्या ये एहसास जो आज मुझे हो रहा है, "दुलारी से बेचारी तक का सफर" ये हर दुलारी बिटिया को होता है? की सात फेरे बदल देती है दुनिया? कृपया टिपण्णी करे। फ़िर मिलूंगी ...

Sunday, June 22, 2008

२२ साल बाद तलाक?

एक तलाक का निणॅय में २२ वर्ष लग गए। नई दिल्ली के मुखर्जी नगर के निवासी श्री शैलेन्द्र ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत १९८५ में तलक की अर्जी दी थी। आखिरकार २२ साल बाद उन्हें तलक मिल ही गया। दोनों पति पत्नी २२ सालो से अलग रह रहे थे। यदि उन्हें तलाक लेने के बाद दूसरी शादी करनी होती तो २२ साल के बाद तो सारे अरमान धरे के धरे रह गए होंगे। क्या ऐसा नही हो सकता की न्याय जल्दी हो जाता और दोनों में से जो कोई भी दूसरा विवाह कर दांपत्य जीवन के सुख के लिए पुनर्विवाह कर सकता? मेरे हिसाब से जब शादी १ दिन में हो सकती है तो तलाक के लिए इतना लंबा समय क्यों? पूरी कहानी यहाँ पढ़े >>

कैसे जियेंगे गरीब इस महंगाई में ?

महंगाई है की घटने का नाम ही नही ले रही है। बढती महंगाई में सबसे ज़्यादा अगर किसी को भुगतना पड़ रहा है तो वो है मध्यम एवं गरीब वर्ग। महंगाई ने हाल ही में पिछले १३ वर्षों का रिकॉर्ड तोडा है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार अभी महंगाई के और बढ़ने की उम्मीद है जो की १५ % तक जा सकती है। ऐसे में जिन लोगों ने बैंक, पी.पी.ऍफ़। में निवेश कर रखा होगा उनको नेगेटिव रिटर्न मिलने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए यदि ब्याज डर ८.५% है और महंगाई १०-१२ % तो बीच का अन्तर निवेशक की पूँजी से कम हो जाएगा। यानि नेगेटिव रिटर्न।

सबसे ज़्यादा प्रभावित तो ठेला लगाने वाले, सब्जी विक्रेता, एवं मजदूर वर्ग ह रहे है। ऊपर से पेट्रोल के दाम बढ़ने से रोज़ मर्रा की आवश्यकता की वस्तुओं पर भी असर पड़ रहा है एवं उनके भी दाम आसमान छु रहे है। गैस के दाम तो बढ़ ही चुके आगे देखिये और किन किन चीज़ों के दाम बढ़ेंगे। विशेषज्ञों का यह भी मानना है महंगाई की बढ़ी हुई डर से अभी निकट भविष्य में कोई सुधार होने की उम्मीद नही है बल्कि इसका असली असर तो २-३ महीने में पता चलेगा।
रोज़ कमाने खाने वालोके लिए जीना कितना मुश्किल हो गया है। सरकार जबतक कुछ ठोस कदम उठाएगी तब तक कही गरीबो का दम ही न निकल जाए.

Monday, February 4, 2008

टेली शॉपिंग मे बिकते यन्त्र, लाकेट, पेंडेंट, का धंधा (Selling yantra, locket, pendant via tele shopping)

आजकल हर प्रमुख चैनल पर तेल शॉपिंग के विज्ञापन आते है जिसमे तरह तरह के लोकेट , पेंडेंट, यन्त्र वगैरह बेचे जा रहे है। इन विज्ञापनों मे धारावाहिक मे काम काम करने वाले मशहूर कलाकारों का इस्तेमाल किया जाता है। अधिकतर बेचे जाने वाले इन यंत्रों के विषय मे यह बताया जाता है कि इसको खरीद कर घर मे पूजा ग्रह मे स्थापित करने या गले मे पहनने से लक्ष्मी कि असीम कृपा हो जाती है, व्यापार मे तरक्की सुनिश्चित हो जाती है। पर आज तक मुझे इन चीजो मे विश्वास नही हो पाया। माना कि कुछ मूल्यवान पत्थर जैसे रूबी, पन्ना, नीलम इत्यादी का भी एक विज्ञान है पर ये क्या गारंटी कि हर पहनने वाला इन लोकेट एवं यंत्रों कि मदद से धनी हो जाएगा। यदि ऐसा वास्तव मे होता हो तो मैं भारत सरकार से गुजारिश करना चाहूंगी कि विभिन्न विकास कि योजनाए बनाने एवम उसमे करोडो रूपये बर्बाद करने के बजाये ये यन्त्र या लोकेट खरीद कर हर गरीब मे बट्वा देना चाहिऐ जिसके कि पूरे भारत कि गरीबी दूर हो सके।

टेली शॉपिंग के ज़रिये आजकल हर तरह कि चीज़ को खूब बढ़ा चढा कर दिखाया जाता है, तथा कई लोगो को उसके प्रयोग से हुए लाभो का गुडगान करते हुए दिखाते है। मेरे विचार से ऐसे भ्रमित करने वाले एवम झूठी गारंटी देने वाले विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगनी चाहिऐ। अब आप ही बताईये कि क्या श्री यन्त्र को हर घर मे स्थापित करवा देने से यदि धन कि प्राप्ति होती हो तो क्या उसका क्या करना चाहिऐ।

Sunday, February 3, 2008

घरेलु नुस्खे : प्याज़ के फायदे ( Home Remidies: Benifits of Onion)

घरेलू नुस्खे :प्याज़ (Home Remidies: Onion) बिना प्याज़ के सब्जी का स्वाद ही शायद बेकार लगे। पूरे भारत मे प्याज़ का इस्तेमाल सब्जी मी किया जाता है। पर वास्तव मे प्याज़ बहुत ही गुढ्कारी औषधि का भी काम करता है एवं कई रोगों मे तो राम बाँण का काम करता है। आइये इसके कुछ कारगर घरेलु प्रयोगों के बारे मे जाने :

  • पतले दस्त (dysentery) रहे हो तो प्याज़ के रस को नाभि पर लगाए, आराम मिलेगा
  • प्याज़ नेत्र ज्योति बढ़ाने मे सहायक होता है
  • दमा (Asthma) के रोग मे सफ़ेद प्याज़ के रस को शहद के साथ खाने पर बहुत फायदा होता है
  • दांत के दर्द मे प्याज़ के टुकड़े को दातो के बीच दबा लेने से दर्द मे आराम मिलता है
  • प्याज़ के रस कि मालिश करने से गठिया के दर्द मे आराम मिलता है
  • खून कि कमी (Anemia) होने पर प्याज़ के रस को शहद के साथ सेवन करने से खून कि कमी दूर होती है
  • उच्च रक्तचाप (High blood Pressure) के रोगियो के लिए भी प्याज़ लाभकारी है और उनको प्याज़ अवश्यकहना चाहिऐ क्योंकि प्याज़ उच्च रक्तचाप को कम करता है
  • प्याज़ मानसिक तनाव (Stress) मे भी काफी उपयोगी होता हैप्याज़ मे पाए जाने वाला एक रसायन मानसिकतनाव को कम करता है
  • उल्टिया (vomiting) आने या जी मचलने मे प्याज़ को नमक के साथ खाने मे काफी आराम मिलता है
  • अपच (Indigestion) हो तो प्याज़ के रस को नमक के साथ खाएँ आराम मिलेगा

Thursday, January 31, 2008

Blogger Buzz: Now you can blog in Hindi

Hi friends, this is a very great news to share with you. Now one can easily create a blog in Hindi also. www.blogger.com owned by google has offered a special transiliteration feature which enables a blogger to blog in Hindi. Thanks to blogger and see i have created a blog in Hindi.
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Uses of Microwave माइक्रोवेव के उपयोग

आज के ज़माने मे माइक्रोवेव किचेन कि शोभा बढ़ा रह है । शहरो मी तो माइक्रोवेव का चलन कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। हो भी क्यो न ! माइक्रोवेव के उपयोग भी तो बहुत सारे हैं । अगर सर्वे किया जाये तो अधिकतर घरों मे माइक्रोवेव का इस्तेमाल अधिकतर खाना गर्म करने या हल्का फुल्का पकाने तक ही सीमित है लेकिन इसके अन्य भी कई उपयोग है । चलिए आज इसिस विषय पर बात करते है और इसके अन्य उपयोगों के बारे मी जानते हैं।

मलाई से घी निकालना :
एक माइक्रोवेव सुरक्षित बोव्ल ले उसमे मलाई को आधा भरें । इसे बिना ढके माइक्रोवेव १००% पॉवर पर १०-१२ मिनट के लिए रखे । मलाई उबलते उबलते घी मे परिवर्तित हो जायेगी । खोया इस्तेमाल करना हो तो छान कर अलग निकाल ले अथवा उसे फ़ेंक दे। कुछ बातों का ख़याल रखे कि बोव्ल मे मलाई को आधा से ज्यादा न भरे अथवा मलाई उफन कर बाहर गिर सकती है। मलाई मे दूध ना हो नही तो समय अधिक लगेगा।

आलू अथवा अन्य सब्जी को उबालना : माइक्रोवेव मे आलू या अन्य कोई सब्जी उबालना अत्यंत ही आसान है। वो भी बिना पानी के ! जी हाँ ! आलू, शकरकंदी, मटर, आदि को आप माइक्रोवेव सुरक्षित बोव्ल मे अथवा पालीथीन मे रख कर आसानी से उबाल सकते हैं । सब्जी या आलू पालीथीन या बोव्ल मे रख कर माइक्रोवेव १००% पॉवर पर ४ से ६ मिनट का समय दे। छिलके वाली सब्जी जैसे आलू, बैगन, शकरकंदी आदि उबाल रहें हो तो उसमे चाकू से २-३ जगह गोद दे जिससे कि वो फटे नही।

आटा, सूजी, दलिया, बेसन, सौफ, मखाना, काजू, मूंगफली, लाई, चिवडा आदि को भूनना :
उपरोक्त मे से किसी भी चीज़ को भूनना हो तो उसे माइक्रोवेव सुरक्षित बोव्ल मे रखकर बिना ढके माइक्रोवेव १००% पॉवर पर ४-६ मिनट का समय दे । बीच मे २-३ बार चला दे। आटा, बेसन, सूजी को भूनने मे ६-७ मिनट लगता है बाकी अन्य चीजे ३ से ४ मिनट मे भुन जाती है। सूजी आटा बेसन को भुनते समय बीच मे ज़रूर चलाये अन्यथा वे बीच मे जल जाएँगी।

defrost करना : फ्रीज़र मे से निकाले गए जमे हुए चीजों को सामान्य तापमान मे लाने को देफ्रोस्तिंग (defrosting) करना कहते है । सामान्यतः माइक्रोवेव मे ऑटो दिफ्रोस्त का फीचर होता जिसमे ४-५ चीजो के लिए आपको समय और पॉवर डालने कि आवश्यकता नही पड़ती है पर अन्य चीजे जैसे मटर, पनीर, आदि को defrost करना हो तो माइक्रोवेव ४०% से अधिक पॉवर का प्रयोग ना करे । defrost करने के लिए ३ - से ८ मिनट का समय दीजिए । जो भो समय आपने defrost के लिए डाला हो उसके बीच मे एक बार उसे पलट अवश्य दे। कभी भी defrost करने के लिए माइक्रोवेव कि पूरी पॉवर का इस्तेमाल न करे।

पापड़, चिप्स आदि को सेकना :
माइक्रोवेव मे पापड़ को बिना घी तेल के भूना जा सकता है। पापड़ को माइक्रोवेव की कांच कि प्लेट मे रखें एवं माइक्रोवेव १००% पॉवर पर ३० सेकंड से एक मिनट का समय दे। एक साथ १०-१५ पापड़ भूनने हो तो बीच मे उसे पलट दे। यदि घी वाले पापड़ का स्वाद चाहते हो तो पापड़ मे माइक्रोवेव मे रखने से पहले ही घी लगा दे। पापड़ मे चटनी , सास् का लेप लगा कर आप अलग अलग स्वाद का आनंद ले सकते है।

पोप्कोर्न (Popcorn) बनाना :
पोप्कोर्न बनने के लिए मक्के के दाने को माइक्रोवेव सुरक्षित बोव्ल मे रखे, मक्खन एवं मसाले डाल दे एवं ढक कर माइक्रोवेव १००% पॉवर पर ३ से ५ मिनट का समय दे।

नम हो गए बिस्किट या दालमोठ को कुरकुरा करना :
बिस्किट, चुरा, लाई, दालमोठ आदि को कुरकुरा करना इसे माइक्रोवेव के अन्दर कांच की प्लेट पर फैला दे एवं २ से ३ मिनट के लिए ग्रिल कर दे । ठंडा होने पर वे कुरकुरे हो जायेंगे ।

माइक्रोवेव को होट केस ( Hot Case ) की तरह इस्तेमाल करना :
बहुत कम लोग जानते होंगे की माइक्रोवेव को होट केस की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है ।आप इसमे खाने को जबतक चाहे गर्म रख सकते हैं। जिस भी चीज़ को गर्म रखना हो उसे पहले गर्म कर ले और फिर माइक्रोवेव की सबसे कम १०% या २०% पॉवर पर जितने समय तक गर्म रखना हो समय डाल कर ओन कर दे। खाना तबतक गर्म रहेगा ।

Wednesday, January 30, 2008

Blog : Your online journal

एक समय था जब लोग अपनी रचनाओ को लिख कर पत्रिकाओ और समाचार पत्र के संपादक को भेजा करते थे और महीने भर बाद अगर आपका लेख संपादक को पसंद आता तो उसे छापा हुआ देखना नसीब होता था। पर अब समय कितना बदल चूका है। अब आप लिखने के शौकीन हो तो बस अपना (blog) बनाइये और जो चाहे लिख कर उसे ब्लोग पर छाप दीजिए । ना तो किसी कि पसंद या नापसंद कि फिक्र न ही कोई इंतज़ार । मैंने भी जब लोगों को ब्लोग बनाते और लिखते हुए देखा तो सोचा क्यो न मैं भी अपना ब्लोग बनाऊ और मैं भी शुरू हो गयी। और आज लिखते हुए कितना सुकून मिलता है। ब्लॉगर जो कि गूगल का ही एक हिस्सा है उसमे कितनी सुविधा हो गयी है। दुनिया कि हर मुख्य भाषा मे ब्लोग बनाए जा सकते है और लिखना भी बहुत आसान । पहले पहल तो मुझे हिन्दी मे लिखने के लिए अंग्रेजी के शब्दों को लिखने मे कुछ दिक्कत हुई पर चूँकि हिन्दी मे संक्षिप्त संदेश भेजने के लिए अंग्रेजी का जैसे इस्तेमाल करती थी वैसे ही इसमे करते हुए कोई कठिनाई नही हुई। चिटठा और चिट्ठाकारिता हुआ कितना आसान ! मैं गूगल और सभी चिट्ठाकारों को धन्यवाद देना चाहती हूँ जिनसे प्रेरित होकर मुझे भी ब्लोग बनने कि सूझी और एक नयी शुरुआत हुई। हिन्दी चिट्ठाकारिता से मुझे लगता है कि कई ऐसे लोग है जिनमे कई नए लेखकों का जन्म होगा और हिन्दी रचना जगत मे हिन्दी का और भी विकास होगा
जल्द ही फिर मिलती हूँ

Monday, January 28, 2008

Agony of maid servants काम वाली बाई का दर्द

एक औरत जिसके बिना शायद घर का काम अधूरा ही लगता है। जी हाँ काम वाली बाई। एक दिन भी काम वाली न आये तो बर्तन धोने झाडू पोछा करना मुश्किल हो जाता है। आदत नही होती ये सब करने कि या अचानक करना पड़े तो कुछ महिलाओ को नानी याद आ जाती है। मैं ऐसी कई महिलाओ को जानती हूँ जिन्हें काम वाली बाई का एक दिन भी नागा करना स्वीकार नही। बाई के आने के टाइम से थोडा ऊपर हुआ नही कि दरवाजे से झांक कर रह देखना शुरू हो जाता है । अगर अगल बगल कोई दिखाई पड जाये तो फौरन पूछने से चूकती नही " सुनिए बहन जी आज काम वाली बाई नही आई, पता नही कहाँ रह गयी मेरे तो सारे बर्तन जूठे पड़े है। इनका कोई ठिकाना नही, कोई टाइम नही" अगर बगल वाली ने यह कह दिया कि हां आयी है तब खुश होकर अन्दर चली जाएँगी । अगर कह दिया कि नही आयी है तब पैर पटकते, बुदबुदाते हुए घर के अंदर जाती है । अब साहब जब दूसरे दिन काम वाली बाई जैसे ही घर मे घुसी और इससे पहले कि वो कुछ बोलती उसके ऊपर प्रश्नों कि बौछार शुरू हो जाती है। " ये क्या तरीका है ? कल क्यों नही आई ? नही आना था तो खबर तो कर देती। ऐसे नही चलेगा। गुस्से मे अगर बाई कह दे कि ठीक है कोई दूसरी बाई देख लो तो उनका सारा गुस्सा काफूर हो जाता है। शायद ये स्थिति भारत मे आम है। काम वाली बाई के बिना महिलाओ का घर संभाल पाना नामुमकिन सा लगता है। पर कहते है महिला ही महिला कि दुश्मन होती है । उसे दूसरे का दर्द या तकलीफ नही दिखाई देती । क्या काम वाली बाई इंसान नही होती। क्या उसे किसी काम से कही जान नही होता? क्या उसे बिमारी नही आती? या उसके घर मे कोई बीमार नही होता? निम्न वर्ग कि गरीब महिलाओ कि इस दर्द को कोई जल्दी नही समझ पाता। वो हमारे घर मे आती है काम करती है और चुप चाप चली जाती है । उनके होने का एहसास हमे तब होता है जब वो काम पर नही आती है।

काश हम महिलाए भी काम वाली बाई को एक महिला और इंसान कि नज़र से देख पाते । अगर हम महिलाए भी उनके जीवन मे झांके तो वो भी बिल्कुल हम महिलाओ कि तरह ही होती है। उनका भी परिवार होता है, बच्चे होते है, उन्हें भी सबकी तरह अपने घर कि देखभाल और जिम्मेदारी होती है। उनको भी बिमारी आ सकती है । शायद उनको सम्मान और इज्ज़त देकर हम उनके होठों पर मुस्कराहट ला सकते है।

Bravo

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