Showing posts with label घर संसार. Show all posts
Showing posts with label घर संसार. Show all posts

Sunday, October 5, 2008

व्यस्क फ़िल्म देखने जा रहे हो तो छोड़ो कलर्स चॅनल पर बिग बॉस देख लो

अजी क्या कहे चॅनल वालों को और बिग बॉस जैसे सीरियल बनने वालो को। मनोरंजन के नाम पर सरेआम अश्लीलता दिखाई जा रही है। राहुल महाजन जी तो रास लीला में जुटे रहते है। अपने दिवंगत पिताजी की गरिमा का उन्हें ज़रा भी ख़याल नही आता है। सरे आम टी वी चैनल पर फूहड़ हरकते करते देखे जा सकते है। शिव सेना वाले भी लगता है दशहरे की छुट्टियाँ मना रहे है । उन्हें चैनल के बारे में लगता है अभी ख़बर नही लगी है वरना आन्दोलन और तोड़ फोड़ से यह सीरियल और लोकप्रिय हो जाता । वैलेंटाइन डे पर लड़की साथ घूमते दिख जाते है तो उनकी खैर नही, और अब जब सरे आम अश्लील सामग्री घर घर पहुँच रही है तो किसी के कान में जूं नही रेंग रही है। नारी संगठन भी शायद अपनी किट्टी पार्टियों में व्यस्त है। वरना मटका फोड़ने जैसी कोई न कोई ख़बर तो सुनाई ही देती। खैर अब जिन मर्दों को अश्लील फ़िल्म दखने जाना हो तो उसका विचार त्याग कर आराम से घर बैठे बिग बॉस सीरियल देख ले। फिल्मों में कोई उत्तेजक सीन मिले न मिले बिग बॉस के घर में तो ज़रूर मिलेगा। अब तो लेट नाईट एडिशन भी आने लगे है। जब तक रोक नही लगती तबतक आँखे तो सेंक ले और देश के युवा वी आई पी लोगों के असली चरित्र भी देख ले। नवरात्र में माँ से यही प्रार्थना है की सोये हुए लोगो की नींद तोड़ और चैनल वालों को सदबुध्ही दे।

Saturday, August 9, 2008

सात फेरे बदल देतीं हैं दुनिया

आजकल इतनी व्यस्त हो गयीं हूँ की ब्लॉग पर लिखने के लिए समय ही नही निकाल सकी। आज काफ़ी दिनों बाद जब ब्लॉग को खोला तो टिप्पणिया पढ़ कर खुशी हुई। मै सभी आगंतुकों और उनकी टिप्पणियो की आभारी हूँ ।

अपनी व्यस्तता के कारण कभी कभी अपने शादी के पहले के दिन याद आ जाते है। पहले घर पर माँ बाप के साये में निश्चिंत जीवन था । ना कोई चिंता और न घर ग्रहस्ती का झंझट। मेरा परिवार संयुक्त परिवार था सो दिन भर कैसे मौज मस्ती में गुज़र जाता था पता ही नही चलता था। पर शादी के बाद तो जैसे स्त्री की दुनिया ही बदल जाती है। मुझे यहाँ संयुक्त परिवार की बजाय एकाकी परिवार मिला । बखूबी दोनों का अन्तर समझ में आया । शादी के समय मेरे ससुराल में मेरे सास ससुर और पति ही थे। शुरू शुरू में काफ़ी बोरियत होती थी। फिर दस महीने के बाद इश्वर ने हम दोनों को एक सुंदर और प्यारा सा बेटा दिया। मेरे बोरियत भरे जीवन में वो रौनक ले कर आया । अब वो दो साल का होंने को है । उसकी प्यारी शैतानिया एक तरफ तो परेशान कर देती है तो दूसरी तरफ़ घर के काम काज और जिम्मेदारियां परेशान करती है। संयुक्त परिवार में बच्चे का पालन पोषण कैसे हो जाता है पता ही नही चलता जो मैंने अपने मायके में देखा था पर यहाँ एकाकी परिवार में जहाँ मुझे ऊपर से नीचे, घर के कामो से लेकर बाहर खरीददारी करने तक का काम करना पड़ता है। छोटे बच्चे के साथ इतनी जिम्मेदारियों को निभाना कोई आसान बात नही लगती है। यहाँ पर सबसे अच्छी बात ये है कि मेरे पति बहुत अच्छे है । इन्होने इस ढाई साल में मेरा एक अच्छे साथी की तरह बखूबी साथ दिया । वैसे तो मेरे पति अपने काम में ही काफ़ी व्यस्त रहते है पर जितने समय घर पर रहते है घर के काम जल्दी निपटाने में मेरी मदद करते है। आज मै कभी अकेली बैठती हूँ तो सोचती हूँ अपनी शादी शुदा ढाई साल की जिंदगी और शादी से पहले की जिंदगी को, कि सात फेरे कैसे एक ही पल में एक लड़की कि दुनिया ही बदल देते है। अपने मम्मा और पापा की दुलारी कब बेचारी बन गई पता ही नही चला । आज जब किसी को अपने ससुराल की व्यस्तता भरी जिंदगी के बारे में बताओ तो हर कोई यही कहता है "हाय ! ससुराल में बेचारी को अकेले ही सारी जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है। " मायके जाने प्र सब कहते हैं मेरी प्यारी बेचारी बिटिया कितनी दुबली हो कर आई है। पहले मायके पहुचने पर सब कहते थे मेरी दुलारी बिटिया आ गई । अब कहते हैं मेरी बेचारी बिटिया आ गई। क्या ये एहसास जो आज मुझे हो रहा है, "दुलारी से बेचारी तक का सफर" ये हर दुलारी बिटिया को होता है? की सात फेरे बदल देती है दुनिया? कृपया टिपण्णी करे। फ़िर मिलूंगी ...

Sunday, June 22, 2008

२२ साल बाद तलाक?

एक तलाक का निणॅय में २२ वर्ष लग गए। नई दिल्ली के मुखर्जी नगर के निवासी श्री शैलेन्द्र ने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत १९८५ में तलक की अर्जी दी थी। आखिरकार २२ साल बाद उन्हें तलक मिल ही गया। दोनों पति पत्नी २२ सालो से अलग रह रहे थे। यदि उन्हें तलाक लेने के बाद दूसरी शादी करनी होती तो २२ साल के बाद तो सारे अरमान धरे के धरे रह गए होंगे। क्या ऐसा नही हो सकता की न्याय जल्दी हो जाता और दोनों में से जो कोई भी दूसरा विवाह कर दांपत्य जीवन के सुख के लिए पुनर्विवाह कर सकता? मेरे हिसाब से जब शादी १ दिन में हो सकती है तो तलाक के लिए इतना लंबा समय क्यों? पूरी कहानी यहाँ पढ़े >>

Google Search

Google