Sunday, November 1, 2009
बच्चों में अच्छे संस्कार कैसे डाले
आज मुझे बहुत दिनों के बाद आप से बातें करने का मौका मिला है । आज हम बातें करेंगे की बच्चो में अच्छी आदतें व अच्छे संस्कार कैसे डाले जाए? बच्चे हमारा भविष्य तो है ही, साथ ही हम जिस समाज में रह रहे है ये उस समाज का व हमारे देश का भी भविष्य भी है । इसमे सबसे अहम् भूमिका होती है हम माँ -बाप की । बाकी रिश्ते नाते सब पीछे हो जाते है । बच्चो में शुरू से ही अच्छी आदते डालनी होगी । जब नीव सही होगी तो आगे सब कुछ अच्छा होगा। हमारा अभी तीन साल का छोटा बेटा है। स्कूल भी जाने लगा है । हमारा अपना व्यवसाय है जिसमे हम पति- पत्नी दोनों व्यस्त रहतें है । सुबह दस बजे से रात के दस बजे तक हमदोनों व्यस्त ही रहते है । जिससे बच्चे की देखभाल में परेशानी होती है । शायद यह परेशानी हर कामकाजी पति - पत्नी की होगी । अ़ब ऐसे में हम अपने बच्चो में अच्छी आदते व अच्छे संस्कार कैसे डाल सकते है , यह एक बहुत बड़ी समस्या है । वैसे हमारा बेटा अभी तक तो ठीक है, थोड़ा बहुत अब जिद करने लगा है । हलाँकि समझदार भी बहुत ज्यादा है । हमे किसी भी काम को सिर्फ़ एक बार ही बताना पड़ता है दुबारा बताने की जरुरत हमें बहुत कम ही पड़ती है । चाहे पढ़ाई -लिखाई हो या फिर ऐसे कोई काम हो । ज्यादा तर तो वो जैसे काम करते हम लोगो को देखता है वैसे ही करता है । समझदार है इसलिए हम ज्यादा चिंता नही करते है । लेकिन आजकल शायद हम दोनों के ज्यादा व्यस्त होने की वजह से वो जिद्दी हो रहा है । हम इस लेख के माध्यम से आप से आपके अनुभव के आधार पर यह जानना चाहेंगे की ऐसे में हम उसमे अच्छी आदतें व संस्कार कैसे डाल सकते है? आपमें से बहुत लोग पति पत्नी दोनों कार्यरत होंगे, तो अपने बच्चे की परवरिश के अपने अपने अनुभव हमें अवश्य बताइए तथा उनमे अच्छे संस्कार डालने के लिए आपने क्या प्रयत्न किए वह भी कृपया हम सबसे बाटिये..... आपकी टिप्पणियों का इंतज़ार रहेगा...
Saturday, July 11, 2009
ईश्वर की प्रतिज्ञा
मेरा बेटा अब स्कूल जाने लगा है... जुलाई में स्कूल खुल गए है... अभी कल ही मै अपने बेटे के लिए स्टेशनरी खरीद कर लायी। एक कापी के पिछले प्रष्ट पर कुछ मैंने छपा हुआ पाया जो मुझे काफ़ी अच्छा लगा। मैंने सोचा क्यूँ न उसे सारी दुनिया को पढाऊँ। तो ये रहा जो कापी में छापा था...
भगवान् की प्रतिज्ञा
मेरे मार्ग पर पैर रख कर तो देख,
तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना।
मेरे लिए कड़वे वचन सुनकर तो देख,
कृपा न बरसे तो कहना।
मेरी बातें लोगों से करके तो देख,
तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना।
मेरे चरित्र का मनन कर के तो देख,
तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना।
मुझे अपना मददगार बना कर तो देख,
तुझे सबकी गुलामी से न छुडा दूँ तो कहना।
मेरे लिए आंसू बहा कर तो देख,
तेरे जीवन में आनंद के सागर न भर दूँ तो कहना।
मेरे लिए कुछ बनकर तो देख,
तुझे कीमती न बना दूँ तो कहना।
स्वयं को न्योछावर कर के तो देख,
तुझे मशहूर न करा दूँ तो कहना।
तू मेरा बनकर तो देख,
हर एक को तेरा न बना दूँ तो कहना।
कैसा लगा अवश्य बताईयेगा.....
मेरे मार्ग पर पैर रख कर तो देख,
तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना।
मेरे लिए कड़वे वचन सुनकर तो देख,
कृपा न बरसे तो कहना।
मेरी बातें लोगों से करके तो देख,
तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना।
मेरे चरित्र का मनन कर के तो देख,
तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना।
मुझे अपना मददगार बना कर तो देख,
तुझे सबकी गुलामी से न छुडा दूँ तो कहना।
मेरे लिए आंसू बहा कर तो देख,
तेरे जीवन में आनंद के सागर न भर दूँ तो कहना।
मेरे लिए कुछ बनकर तो देख,
तुझे कीमती न बना दूँ तो कहना।
स्वयं को न्योछावर कर के तो देख,
तुझे मशहूर न करा दूँ तो कहना।
तू मेरा बनकर तो देख,
हर एक को तेरा न बना दूँ तो कहना।
कैसा लगा अवश्य बताईयेगा.....
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